झारखंड की ये सीटें बदल देंगी सत्ता का समीकरण! 2019 में इन पर कम वोटों के अंतर से हुआ था फैसला

रांचीः झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है, खासकर उन 9 सीटों पर जहां 2019 के चुनावों में जीत का अंतर 5,000 वोटों से भी कम था। चुनावों का इतिहास बताता है कि झारखंड में कभी किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत

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रांचीः झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है, खासकर उन 9 सीटों पर जहां 2019 के चुनावों में जीत का अंतर 5,000 वोटों से भी कम था। चुनावों का इतिहास बताता है कि झारखंड में कभी किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है।
ऐसी स्थिति में कम वोटों के अंतर से जिन सीटों पर पिछली बार हार-जीत का फैसला हुआ था, वो सीटें एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए इस बार महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हालांकि 2014 के चुनावों में कम अंतर वाली सीटों की संख्या 19 थी जो 2019 में घटकर 9 रह गई, जिससे इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है।


वर्ष 2019 में 9 सीटों पर हार-जीत का अंतर कम रहा


2019 के विधानसभा चुनावों में 81 में से 9 सीटों पर जीत का अंतर बेहद कम था, जिससे साफ है कि राज्य में एनडीए और महागठबंधन में शामिल दलों के बीच कड़ा मुकाबला है। इन नौ सीटों में देवघर, गोड्डा, कोडरमा, मांडू, बाघमारा, जरमुंडी, सिमडेगा, नाला और जामा शामिल हैं। पिछली बार इनमें से पांच सीटें भाजपा ने, जबकि दो-दो सीटें झामुमो और कांग्रेस ने जीती थीं।
हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान इनमें से आठ सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी आजसू पार्टी ने बढ़त हासिल की थी, जबकि एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी।

सिमडेगा में जीत का अंतर सबसे कम 285 वोटों का


सिमडेगा सीट पर जीत का अंतर सबसे कम 285 वोटों का रहा था, जहां कांग्रेस ने भाजपा को हराया था। बाघमारा में भी भाजपा ने कांग्रेस को केवल 824 वोटों से मात दी थी। दिलचस्प बात यह है कि 2019 के चुनावों में जिन 19 सीटों पर जीत का अंतर 5,000 से कम रहा, उनमें से 14 सीटों पर नतीजे 2014 के चुनावों से अलग रहे।

2014 और 2019 का चुनाव परिणाम अलग-अलग रहा


2014 के चुनावों में कम अंतर वाली सीटों पर दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों ने 2019 में शानदार प्रदर्शन करते हुए कई सीटों पर कब्ज़ा जमाया। झामुमो ने उन पांच सीटों पर जीत हासिल की जहां 2014 में उसे हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह, भाजपा ने भी 2019 में तीन ऐसी सीटें जीतीं जहाँ 2014 में उसे दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। इनमें तोरपा सीट भी शामिल है, जहां भाजपा 2014 में झामुमो से केवल 43 वोटों से हार गई थी।


कुल मिलाकर, झारखंड विधानसभा चुनावों में कम अंतर वाली सीटें इंडिया और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर का गवाह बन सकती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि 2023 के चुनावों में कौन सी पार्टी इन सीटों पर अपना परचम लहराने में कामयाब होती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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